साल 2007 में YouTube को एक ज़बरदस्त आइडिया आया कि
क्रिएटर्स के साथ उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा शेयर किया
जाए. YouTube ने विज्ञापनों और सदस्यताओं से मिलने वाले
रेवेन्यू का आधे से भी ज़्यादा हिस्सा, सीधे तौर पर
क्रिएटर्स, कलाकारों, और मीडिया कंपनियों के साथ बांटकर,
कॉन्टेंट बनाने से जुड़ी पारंपरिक बाधाओं को तोड़ दिया. साथ
ही, हर व्यक्ति को अपने जुनून को क्रिएटिव कॉन्टेंट में
बदलकर कमाई करने का मौका मिला. इस तरह लोग अपना कारोबार शुरू
कर पाए और इस प्लैटफ़ॉर्म पर खुद को एक ब्रैंड के तौर पर आगे
बढ़ा पाए.
रेवेन्यू का बाकी हिस्सा, YouTube में ही फिर से निवेश किया
जाता है, ताकि क्रिएटर्स के लिए कॉन्टेंट प्रोडक्शन,
डिस्ट्रिब्यूशन, और कमाई करने के बेहतरीन टूल हमेशा उपलब्ध
रहें.
20 साल बाद भी, रेवेन्यू के बंटवारे के इस यूनीक मॉडल का कोई
मेल नहीं है. यही नहीं, इसने क्रिएटिविटी से जुड़े कारोबारों
के लिए एक नई दुनिया के दरवाज़े खोल दिए.